देश में फिर नहीं लगेगा लॉकडाउन का ताला, माइक्रो स्तर पर चलेगा काम
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देश में फिर नहीं लगेगा लॉकडाउन का ताला
कोरोना वायरस के लगातार सामने आते मामलों को लेकर देश में एक बार फिर लॉकडाउन लगने की अटकलों को सरकार ने विराम लगाया है। मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने फिर से लॉकडाउन का ताला नहीं लगने की पुष्टि की है।
उन्होंने कहा कि देश में फिलहाल लॉकडाउन की जरूरत नहीं है। राज्यों के साथ कंटेनमेंट जोन पर फोकस बढ़ाने का काम किया जा रहा है। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के ही अन्य अधिकारियों ने बताया कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामले को लेकर माइक्रो लॉकडाउन का अधिकार राज्यों के पास है।
एक वरिष्ठ निदेशक ने बताया कि अगर किसी राज्य के किसी एक निश्चित इलाके, गांव या शहर में केस तेजी से बढ़ते हैं तो वे उक्त इलाके में कुछ दिन का लॉकडाउन लगा सकते हैं। जैसे मध्यप्रदेश ने हर रविवार, उत्तर प्रदेश में शनिवार और रविवार की नीति पर काम शुरू किया है।महाराष्ट्र के पुणे में लॉकडाउन शुरू हुआ है। इसे माइक्रो लॉकडाउन का नाम दिया गया है। हालांकि लॉकडाउन के दुष्प्रभावों और पहले हुई गलतियों से सीख लेते हुए सख्ती से पालन भी जरूरी है। दरअसल, कोरोना वायरस को लेकर बीते 24 मार्च को जनता कर्फ्यू और उसी रात 12 बजे से 31 मई तक लॉकडाउन के अलग अलग चरण देखने के बाद एक जून से देश अनलॉक की स्थिति में है।
प्रवासी मजदूरों का पलायन, मास्क या शारीरिक दूरी पर ध्यान न देने की वजह से देश के कई हिस्सों में वायरस का फैलाव देखने को मिल चुका है। इसलिए अब केंद्र सरकार नीतिबद्ध तरीके से राज्यों पर निगाह रख रही है।
जानकारी के अनुसार राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों से यह कहा जा रहा है कि अगर किसी गली, मोहल्ला या कॉलोनी में केस बढ़ते हैं तो वहां सबसे पहले मिनी माइक्रो यानि कंटेनमेंट जोन पर सक्रिय काम बेहद जरूरी है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो संक्रमण के मरीज तेजी से बढ़ने लगेंगे। इस पर भी स्थिति में बदलाव नहीं होता है तो कुछ घंटे या दिन का माइक्रो लॉकडाउन निश्चित सीमा में लगाया जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के ही अधिकारियों का कहना है कि यूपी, बिहार, एमपी और महाराष्ट्र की तरह दिल्ली में भी कुछ दिन या वीकेंड पर लॉकडाउन की फिलहाल जरूरत नहीं लग रही है। क्योंकि पिछले 20 से 25 दिन में यहां स्थिति में सुधार देखने को मिल रहा है। जांच तेजी से बढ़ी है तो संक्रमण का ग्रोथ रेट भी काफी कम हुआ है। ऐसे में राज्य को फिलहाल कंटेनमेंट जोन पर ही सख्ती दिखाने की सलाह दी है।
उन्होंने कहा कि देश में फिलहाल लॉकडाउन की जरूरत नहीं है। राज्यों के साथ कंटेनमेंट जोन पर फोकस बढ़ाने का काम किया जा रहा है। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के ही अन्य अधिकारियों ने बताया कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामले को लेकर माइक्रो लॉकडाउन का अधिकार राज्यों के पास है।
एक वरिष्ठ निदेशक ने बताया कि अगर किसी राज्य के किसी एक निश्चित इलाके, गांव या शहर में केस तेजी से बढ़ते हैं तो वे उक्त इलाके में कुछ दिन का लॉकडाउन लगा सकते हैं। जैसे मध्यप्रदेश ने हर रविवार, उत्तर प्रदेश में शनिवार और रविवार की नीति पर काम शुरू किया है।महाराष्ट्र के पुणे में लॉकडाउन शुरू हुआ है। इसे माइक्रो लॉकडाउन का नाम दिया गया है। हालांकि लॉकडाउन के दुष्प्रभावों और पहले हुई गलतियों से सीख लेते हुए सख्ती से पालन भी जरूरी है। दरअसल, कोरोना वायरस को लेकर बीते 24 मार्च को जनता कर्फ्यू और उसी रात 12 बजे से 31 मई तक लॉकडाउन के अलग अलग चरण देखने के बाद एक जून से देश अनलॉक की स्थिति में है।
प्रवासी मजदूरों का पलायन, मास्क या शारीरिक दूरी पर ध्यान न देने की वजह से देश के कई हिस्सों में वायरस का फैलाव देखने को मिल चुका है। इसलिए अब केंद्र सरकार नीतिबद्ध तरीके से राज्यों पर निगाह रख रही है।
जानकारी के अनुसार राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों से यह कहा जा रहा है कि अगर किसी गली, मोहल्ला या कॉलोनी में केस बढ़ते हैं तो वहां सबसे पहले मिनी माइक्रो यानि कंटेनमेंट जोन पर सक्रिय काम बेहद जरूरी है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो संक्रमण के मरीज तेजी से बढ़ने लगेंगे। इस पर भी स्थिति में बदलाव नहीं होता है तो कुछ घंटे या दिन का माइक्रो लॉकडाउन निश्चित सीमा में लगाया जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के ही अधिकारियों का कहना है कि यूपी, बिहार, एमपी और महाराष्ट्र की तरह दिल्ली में भी कुछ दिन या वीकेंड पर लॉकडाउन की फिलहाल जरूरत नहीं लग रही है। क्योंकि पिछले 20 से 25 दिन में यहां स्थिति में सुधार देखने को मिल रहा है। जांच तेजी से बढ़ी है तो संक्रमण का ग्रोथ रेट भी काफी कम हुआ है। ऐसे में राज्य को फिलहाल कंटेनमेंट जोन पर ही सख्ती दिखाने की सलाह दी है।
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