The faith of Koteshwar Dham is 1000 years old, every wish is fulfilled only by darshan.

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कोटेश्वर धाम की आस्था 1000 साल पुरानी, ​​दर्शन मात्र से होती है हर मनोकामना पूरी


कोटेश्वर धाम मंदिर


कोटेश्वर धाम मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि भारत के प्राचीन इतिहास और संस्कृति का जीवंत प्रमाण भी है। 1000 साल पुराने इस मंदिर की शिल्पकला, मान्यताएं और आध्यात्मिकता हर किसी को आकर्षित करती है।

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के लांजी में स्थित कोटेश्वर धाम मंदिर आस्था और इतिहास का अनूठा संगम है। यह मंदिर भारत के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है और 108 उपलिंगों में शामिल होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। यहां साल भर भक्तों और पर्यटकों का तांता लगा रहता है। खासकर महाशिवरात्रि और सावन के महीनों में यहां भक्तों की भीड़ देखने लायक होती है।

कोटेश्वर धाम 1000 साल पुराना है
कोटेश्वर धाम मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था। मंदिर के मुख्य पुजारी के अनुसार इसे कलचुरी काल की एक मूर्ति से बनाया गया है। इस मंदिर का जन्म 1800 ई. में हुआ था, जबकि इसकी छत का निर्माण 1902 में ब्रिटिश काल के तहसीलदार रामप्रसाद दुबे ने करवाया था। इस ऐतिहासिक धरोहर स्थल को वर्ष 1958 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित स्थल घोषित किया गया था।

मंदिर की संरचना और कलाकृतियाँ।
यह ऐतिहासिक मंदिर पूर्व की ओर मुख वाला है। मंदिर के मुख्य भाग में मुख मंडपम, महा मंडपम, अंतराल और गर्भगृह शामिल हैं। गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है, जो एक गोलाकार आधार पर स्थित है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर कलचुरी काल की अद्भुत कलाकृतियाँ देखी जा सकती हैं। इसके अलावा मंदिर परिसर में कुछ खंडित मूर्तियाँ भी मिली हैं, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को साबित करती हैं।

तंत्र-मंत्र साधना और ऋषि दधीचि का पवित्र स्थल
ऐसा माना जाता है कि कोटेश्वर धाम मंदिर श्मशान और नरसिंह मंदिर के कारण यह तंत्र-मंत्र साधना का भी केंद्र रहा है। इस स्थान को ऋषि दधीचि की तपस्थली माना जाता है, जिनकी तपस्या का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। यहाँ का वातावरण आध्यात्मिकता और रहस्य से भरा हुआ है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है।

कोटेश्वर धाम मंदिर में दूर-दूर से भक्त अपनी मनोकामनाएँ लेकर आते हैं। मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। सावन के महीने में शिव भक्त और कांवड़िये खास तौर पर यहां जलाभिषेक करने आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।


पर्यटन और विकास की संभावनाएं।
इस मंदिर की देखरेख भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) करता है। स्थानीय प्रशासन और एएसआई के प्रयासों से मंदिर के आसपास विकास कार्यों की योजना बनाई जा रही है। इससे न केवल मंदिर की ऐतिहासिक विरासत सुरक्षित रहेगी बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी यह स्थान और प्रसिद्ध होगा।

मंदिर में साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
कोटेश्वर धाम मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व इसे साल भर श्रद्धालुओं के लिए पसंदीदा स्थान बनाता है। महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इस दौरान मंदिर का माहौल भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है।

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